Tuesday, January 13, 2009

माँ

माँ है तू मेरी यह एहसास सदा था,
अच्छा बुरा जैसा भी वक्तआया तेरा साथ सदा था,
पर माँ होना क्या होता है यह अब तक न जान पाई थी.....

तेरे आँचल के साए का एहसास और गहराया है,
जब से मैने इस नन्हे फूल के लिए अपना दामन फैलाया है,
हर बार जब प्यार से इसको को सहलाती हूँ,
मिला था यह प्यार मुझे भी यह सोच कर सिहर आती हूँ......

जब इस के खोने का एहसास मुझे डरता है,
मेरे देर से आने पर जो बहते थे तेरे उन आंसूं को मोल समझ आता है ,
मेरी आँख का तारा जब बेफिक्र हो मेरी गोद में सोता है,
हर उस पल मुझे तेरी ममता का एहसास और गहरा होता ....

लौटा तो नही सकती वो सब जो तुने मुझे दिया है,
लेकिन ऋण यह तेरे स्नेह का अपने बेटे पर उतार रही हूँ,
वोह प्यार जो पाया है तुझ से इस पर लुटा रही हूँ....

जानती हूँ तेरा मेरा रिश्ता शब्दों का मुहताज नहीं है,
मगर आज कहना चाहती हूँ जो अब तक कहा नहीं है,
'माँ' हर बच्चे को अपनी माँ प्यारी होती है,
मगर कम होते हैं मुझ जैसे किस्मत वाले जिनकी ,
इतनी प्यारी माँ होती है......

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