Wednesday, March 17, 2010

Shattered dreams clenched tight in my hands,
life is falling apart like slipping sand,
Was this the life I was searching for?
But I cannot complaint,
what I have is what I got......

Tuesday, March 16, 2010

सहमा सा मन था,
रुकी रुकी सी सांसें थीं,
मिली जब तुमसे पहली बार,
उलझी सी मन की बातें थीं,

मन के भीतर का बच्चा डरता था,
किसी का न होगा हठ करता था,

मिले तुम और दुनिया ही बदल गयी,
प्रवाह से बहती नदी को,
मानो सागर की दिशा मिल गयी,

अनजान थे एक दुसरे से हम,
फिर जीवनसाथी बने,
साथ कुछ इस तरह गहरा हुआ,
मैं-तू से हम बनने लगे,

विशाल धरा सी तेरी प्रीत,
मेरा हर दर्द समेट लेती है,
तेरे समर्पण की ज्योति,
मेरी जिंदगी को दिशा देती है,

अचंभित हूँ कैसे मेरा व्याकुल मन,
तेरी गोद में बच्चा बन सो जाता है,
मेरा नहीं हुआ जो वो पल में तेरा हो जाता है.....