स्लेट का टुकड़ा
उमड़ा एक बेबस सा एहसास
काश जिंदगी एक स्लेट का टुकड़ा होती।
और मैं नन्हा सा बच्चा बन,
जिंदगी पर मिटा मिटा कर लिखना सीखती।
जो मन को लगता हो भला सा,
चित्र वही हर बार खींचती।
यदि लिखती वक़्त की लकीरें कुछ अनचाहा
मैं गीला सा मन ले उसे मिटो लेती
होती अगर ये लिखावट गहरी
तो
मैं आँसू से उसे धो लेती।
काश जिंदगी एक स्लेट का टुकड़ा होती
जिस पर लिखे कुछ अक्षर मैं मिटा सकती
या फिर जो कभी लौट नहीं सकते
उन पलों को
एक बार फिर बना सकती
काश जिंदगी एक स्लेट का टुकड़ा होती।
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteएहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
ReplyDeleteअनूठी सोच मर्मस्पर्शी रचना - बहुत सुंदर
ReplyDeleteShukriya aap sabka!
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुती ......मन के भावों को बखूबी शबदो का रूप दिया है आपने .
ReplyDeletebahut hi achhe bhaw....
ReplyDeletekaash..
aisa kuch ho paata...
afsos...
yun hi likhte rahein...
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mere blog mein is baar...
जाने क्यूँ उदास है मन....
jaroora aayein
regards
http://i555.blogspot.com/
Beautiful .....Touching.
ReplyDeletesundar rachna.
ReplyDeletebahut hi sundar rachna hai..man ki bebasi nazar aatee hai kavita mein...
ReplyDeletemere blog par do kavitayein aapke intzaar mein...
ReplyDeletejaroor aayein...
magar jindgi fir bhi kabhi slate nahin hoti... nahin hoti naa......khair acchi kavita.....!!
ReplyDeleteBahut khub abhivyakti hai bhavnaun ki.
ReplyDeleteJindgi to jindgi hai naa slate or naa ret ka ghraunda.
Har pal ek lakeer khichti hai aur mitati hai.
jindgi to .....
wah behad sunder.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकाफी सुन्दर रचनाये हैं आपकी ....ब्लॉग अच्छा लगा ......पर कुछ हिंदी की मात्रात्मक गलतियाँ हैं जिनकी वजह से भावों में परिवर्तन हो जाता है ...इस तरफ थोडा ध्यान दे......
ReplyDeleteकभी फुरसत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयिए -
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
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sunder rachana .
ReplyDeletebadhai ho.
bahut din aapne kuch nahi likha.... likhna jaari rakhein...
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