Tuesday, February 17, 2009

तन्हाई अपनी मेरी यादों से सजा रहा है...

खामोश है सारा जहाँ,

मगर हवाओं में एक संगीत है,

थिरक उठे हैं मेरे पाँव जिन पर,

किसने छेड़ा यह मधुर गीत है...

सुन रही है जो मेरी खामोशी,

किस की यह पद्चाप है,

ऐसा लगता है दूर से,

कोई दे रहा आवाज़ है ....

क्यों बार बार होता है आभास,

जैसे कोई मुझे बुला रहा है,

तनहाइ अपनी शायद ,

मेरी यादों से सजा रहा है.......

2 comments:

  1. waah waah nidhiji,
    aap vakai kavya jagat ki ek anmol nidhi hain jiska sampoorna astitava hi pyar ke rang me rangaa hai ................badhai!

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