खामोश है सारा जहाँ,
मगर हवाओं में एक संगीत है,
थिरक उठे हैं मेरे पाँव जिन पर,
किसने छेड़ा यह मधुर गीत है...
सुन रही है जो मेरी खामोशी,
किस की यह पद्चाप है,
ऐसा लगता है दूर से,
कोई दे रहा आवाज़ है ....
क्यों बार बार होता है आभास,
जैसे कोई मुझे बुला रहा है,
तनहाइ अपनी शायद ,
मेरी यादों से सजा रहा है.......
Dated: June,2001
ReplyDeletewaah waah nidhiji,
ReplyDeleteaap vakai kavya jagat ki ek anmol nidhi hain jiska sampoorna astitava hi pyar ke rang me rangaa hai ................badhai!