Wednesday, February 18, 2009

सही निर्णय

भटकती राहों पर चल रही थी मैं,
धुंधली दिखने लगीं थी तस्वीरें ,
मझधार तक पहुंची तो लगा ,
खो गया है किनारा छूट रही हैं मंजिलें ....

टटोला अपने मन को और समेटा,
हुआ जो अब तक वो और कब तक होगा,
सहमा सा है मन मगर में जानती हूँ,
मेरा यह निर्णय सही ही होगा.....

उठी कई निगाहें मेरे निर्णय पे,
बहुत से सवालों ने सताया,
अपनों के ले लिए लिया है यह निर्णय,
मेरे मन ने मुझे समझाया.........

राह कठिन है मंजिल भी अनजानी,
निकल पड़ी हूँ मैं सहास की बांह थामी,
कभी लगा तनहा हूँ मैं ,
कैसे चलूंगी इतनी दूर,
पलट कर देखा तो मेरे अपने ,
सब मेरे साथ थे,
छोड़ गए जो मझधार में ,
वो कब मेरे हमसफ़र, मेरे दोस्त थे...

1 comment:

  1. This creation is dedicated to a dear friend who went through a rough patch in her life.Its her feelings in my words.....

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