सोचा आज दिल की बगिया की सफाई की जाये ,
कुछ यादों को कांटा छाटा जाए,
कुछ एहसासों को सदा के लीये बिदाई दी जाए ,
कुछ जख्म जो रिसते हैं और कुछ दर्द जो चुभते हैं ,
उन जख्मों को हटा कुछ नए एहसासों के लिए जगह की जाए,
छाटने बैठे बेमानी यादें तो पूरी जिंदगी छंट गयी,
कुछ जरुरी और कुछ बहुत जरुरी एहसासों में दिल की बगिया बट गयी,
हलकी करने बैठे थे जो दिल की टहनी उस पे नयी यादें कुछ और पनप गयीं,
एहसासों की इस बगिया के न जाने हम कब से माली थे,
सारी खटी मीठी यादें हम सालों से संभाले थे,
बदलते समय ने एहसासों को नए रंग दिए,
जो पल चुभते थे कभी शूल जैसे,
वो भी अब फूल से महक रहे थे ,
तब लगा मन का आँगन कितना विस्तार है,
महकता है फूल सा हर एहसास,
तो फिर क्यों हो किसी भी गुजरे पल का तिरस्कार है,
हर गुजरा एहसास एक नयी राह दिखा गया,
हर दर्द जीने का सबक कोई सिखा गया!
बेहतरीन
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