जागा है फिर वही बिरह का एहसास,
आज फिर वही तन्हाई है,
पलकें फिर मूंदी मैनें,
आज फिर नींद नहीं आई है.....
फिर वही खिड़की है ,
वही चाँद और फिर वही खुली आँखें हैं,
तेरे पास पंख लगा उड़ आने को,
फिर मचलती मेरी वही चाहतें हैं.....
तन्हाई ने फिर विह्वल किया,
फिर वेदना शब्दों में ढल गई,
तेरी याद में ,तेरी तन्हाई में ,
फिर एक और नगम बन गई...
बदला है इतने बरस में कुछ तो बस इतना ही,
पहले प्रेमिका थी अब अर्धांगिनी हूँ,
पहले कशिश थी उसकी जो मेरा नहीं हुआ था,
अब तड़प है उसकी जिसे पा चुकी हूँ.....
Some spoken stories and some tales untold, times I stood tall and times I got sold, carving feelings in to words, some new and some old.....
About me
- nidhi
- Singapore
- Conflict between the two, the true me and the image I pursue, the smiles I have and the sorrows I hide are part of me like coin with flipping sides.....
Monday, June 22, 2009
राधा सी मैं हुई बावरी
मन बन गया वृन्दावन ,
आंखें गोकुल की गालीयाँ,
राधा सी मैं हुई बावरी,
जब से गया मेरा कन्हीया,
कान्हा कान्हा पुँकार रही हूँ,
इन गोकुल की गलीयों में,
केशव बहुत सताया मुझको,
तेरी इन चंचल अंखीयों ने,
सब से है तू करे ठिठोली,
मुझसे ही न बोले है,
इतना तो बेपीर नहीं ,
फिर पीर ह्रदय की क्यों न जाने है,
विह्वल तेरे बिरह में कान्हा,
कुछ ऐसी तेरी राधे है,
शूलों से चुभते उसे ,
सखियों के उल्हानें हैं,
और तेरी देरी के भी तो ,
सूझे न इसे कोई बहाने हैं,
अब और देर न करना ,
सुन लो मेरे कान्हा तुम,
वरना हो जायेगी अब,
तेरी यह राधा गुम.
आंखें गोकुल की गालीयाँ,
राधा सी मैं हुई बावरी,
जब से गया मेरा कन्हीया,
कान्हा कान्हा पुँकार रही हूँ,
इन गोकुल की गलीयों में,
केशव बहुत सताया मुझको,
तेरी इन चंचल अंखीयों ने,
सब से है तू करे ठिठोली,
मुझसे ही न बोले है,
इतना तो बेपीर नहीं ,
फिर पीर ह्रदय की क्यों न जाने है,
विह्वल तेरे बिरह में कान्हा,
कुछ ऐसी तेरी राधे है,
शूलों से चुभते उसे ,
सखियों के उल्हानें हैं,
और तेरी देरी के भी तो ,
सूझे न इसे कोई बहाने हैं,
अब और देर न करना ,
सुन लो मेरे कान्हा तुम,
वरना हो जायेगी अब,
तेरी यह राधा गुम.
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