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तिरंगा लहराना उसे सिखाया,
राष्ट्र-गान भी स्मरण कराया,
वतन से इतनी दूर एक प्रयास किया है ,
अपने नन्हे दीपक को देश दीपक बनाने का,
भारत से दूर उसे भारत-वासी रख पाने का...
अपने देश को वो नानी,दादी के घर से पहचानता है,
मात्र भूमि को मेरा लाल 'होलीडे डेस्टिनेशन' मानता है,
कैसे और कब उसमें देश भक्ति का भाव जागेगा,
कब उसे वो 'मेरा भारत' कह कर पुकारेगा,
क्या कभी छू पाएगी उसे देश की हवा,
जैसे मुझे छूती है...
क्या जान पायेगा वो कभी ,
अपने देश की मिट्टी की सोंधी सी खुशबू,
कैसी होती है....
माँ हूँ मैं उसकी, सब सिखा सकती हूँ,
आजादी के किस्से,
क्रांति की कहानियाँ सुना सकती हूँ,
मगर उनके बलिदान से ,
जो भीग जाती हैं मेरी पलकें,
क्या वो एहसास मैं ,
अपने बेटे को दिला सकती हूँ...
जानती हूँ अत्याधिक अपेक्षा कर रही हूँ,
पांच साल के बालक में ,
देश भक्ति तलाश रही हूँ,
देश के लिए और कुछ न कर सकूं शायद,
इसलिए अपने लाल को
एक देश भक्त बनाने का,
सार्थक प्रयास कर रही हूँ ....
एक अच्छी अभिव्यक्ति,
ReplyDeleteयह परवासी सिर्फ वह माँ नहीं है जो हिन्दुस्तान से बाहर रहती है, यह हर उस कश्मीरी, हिमांचली, उत्तरांचली, राजस्थानी, गुजराती, मराठी, मद्रासी, बंगाली असमी, उड़िया , बिहारी इत्यादि-इत्यादि माँ की वेदना है जो रोजी रोटी के लिए अपना गाँव छोड़ किसी सहर में आ गई है और अपने बच्चो को गाँव की माटी से जोड़ना चाहती है !
dhnya kar diya aapne.............
ReplyDeletejai hind !
" bahut hi khub ...dil ko kafi accha laga aapke blog per aake ...kabhi fursat mile to hamare blog per aapka swagat hai "
ReplyDelete----- eksacchai {AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
dada7229@gmail.com
क्या कभी छू पाएगी उसे देश की हवा,
ReplyDeleteजैसे मुझे छूती है...
बहुत सुन्दर ज़ज्बा है. बहुत सुन्दर रचना.
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ReplyDeleteमाँ हूँ मैं उसकी, सब सिखा सकती हूँ,
ReplyDeleteआजादी के किस्से,
क्रांति की कहानियाँ सुना सकती हूँ,
मगर उनके बलिदान से ,
जो भीग जाती हैं मेरी पलकें,
क्या वो एहसास मैं ,
अपने बेटे को दिला सकती हूँ...
wah!
India is like a magnet. It attracts when u r away from it.
ReplyDeleteAmazing didi! Bahut achcha laga padh ke aur yeh dekh ke ki humara parivaar kitna ek sa sochta hai...
ReplyDeletelove you all!