
तिरंगा लहराना उसे सिखाया,
राष्ट्र-गान भी स्मरण कराया,
वतन से इतनी दूर एक प्रयास किया है ,
अपने नन्हे दीपक को देश दीपक बनाने का,
भारत से दूर उसे भारत-वासी रख पाने का...
अपने देश को वो नानी,दादी के घर से पहचानता है,
मात्र भूमि को मेरा लाल 'होलीडे डेस्टिनेशन' मानता है,
कैसे और कब उसमें देश भक्ति का भाव जागेगा,
कब उसे वो 'मेरा भारत' कह कर पुकारेगा,
क्या कभी छू पाएगी उसे देश की हवा,
जैसे मुझे छूती है...
क्या जान पायेगा वो कभी ,
अपने देश की मिट्टी की सोंधी सी खुशबू,
कैसी होती है....
माँ हूँ मैं उसकी, सब सिखा सकती हूँ,
आजादी के किस्से,
क्रांति की कहानियाँ सुना सकती हूँ,
मगर उनके बलिदान से ,
जो भीग जाती हैं मेरी पलकें,
क्या वो एहसास मैं ,
अपने बेटे को दिला सकती हूँ...
जानती हूँ अत्याधिक अपेक्षा कर रही हूँ,
पांच साल के बालक में ,
देश भक्ति तलाश रही हूँ,
देश के लिए और कुछ न कर सकूं शायद,
इसलिए अपने लाल को
एक देश भक्त बनाने का,
सार्थक प्रयास कर रही हूँ ....