भटकती राहों पर चल रही थी मैं,
धुंधली दिखने लगीं थी तस्वीरें ,
मझधार तक पहुंची तो लगा ,
खो गया है किनारा छूट रही हैं मंजिलें ....
टटोला अपने मन को और समेटा,
हुआ जो अब तक वो और कब तक होगा,
सहमा सा है मन मगर में जानती हूँ,
मेरा यह निर्णय सही ही होगा.....
उठी कई निगाहें मेरे निर्णय पे,
बहुत से सवालों ने सताया,
अपनों के ले लिए लिया है यह निर्णय,
मेरे मन ने मुझे समझाया.........
राह कठिन है मंजिल भी अनजानी,
निकल पड़ी हूँ मैं सहास की बांह थामी,
कभी लगा तनहा हूँ मैं ,
कैसे चलूंगी इतनी दूर,
पलट कर देखा तो मेरे अपने ,
सब मेरे साथ थे,
छोड़ गए जो मझधार में ,
वो कब मेरे हमसफ़र, मेरे दोस्त थे...
Some spoken stories and some tales untold, times I stood tall and times I got sold, carving feelings in to words, some new and some old.....
About me
- nidhi
- Singapore
- Conflict between the two, the true me and the image I pursue, the smiles I have and the sorrows I hide are part of me like coin with flipping sides.....
Wednesday, February 18, 2009
Tuesday, February 17, 2009
तन्हाई अपनी मेरी यादों से सजा रहा है...
खामोश है सारा जहाँ,
मगर हवाओं में एक संगीत है,
थिरक उठे हैं मेरे पाँव जिन पर,
किसने छेड़ा यह मधुर गीत है...
सुन रही है जो मेरी खामोशी,
किस की यह पद्चाप है,
ऐसा लगता है दूर से,
कोई दे रहा आवाज़ है ....
क्यों बार बार होता है आभास,
जैसे कोई मुझे बुला रहा है,
तनहाइ अपनी शायद ,
मेरी यादों से सजा रहा है.......
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